Hindi story on friendship
आज अपनी अलमारी संभल रही थी की धप्प से एक एल्बम के गिरने की आवाज़ आई | मैंने उस एल्बम को उठा के देखा ,धुल जम गयी थी उसपर , जब धूल उड़ाई और एल्बम खोल कर देखा तो महसूस हुआ की धुल केवल इस एल्बम पर ही नहीं जमी थी , इस एल्बम के किरदारों के बीच भी जम गयी थी |

इस एल्बम मे मेरी किसी वक़्त की सारी दुनिया बस्ती है| हम सभी दोस्तों की शैतानिया है इन पन्नो मे| मैं यूँही सारी तस्वीरें देखती रही , उन लम्हो को दोबारा जीती रही जो
मुट्ठी मे बंद रेत सा कब फिसल गया कुछ पता ही ना चला !!!!
शुभी और मैं कैसे जोर जोर से हँस रहे है इस तस्वीर मे और ये वाली तस्वीर मे सारन्या का मुँह कैसे भठूरे की तरह फुला हुआ है , इस तस्वीर को खींचवाने से पहले हमने उसे तंग जो किया था और ये हमारे पूरे ग्रुप की सेल्फी है दस लड़कियों का ग्रुप था हमारा और बस यही हमारी पूरी दुनिया हुआ करती थी|
तब कहा सोचा था की दूरी बढ़ते ही हम सब भी दूर हो जाएंगे , की बदलते वक़्त के साथ दोस्ती के मायने भी बदल जाएंगे !!!

जब फ़ोन , व्हाट्सप्प जैसे साधन नहीं थे तो खूब बातें होती थी आज सारे साधन है बस बातें ही नहीं है | स्कूल से निकलते ही सबने अपनी अपनी राहें पकड़ ली , सबको जिंदगी के रफ़्तार के साथ कदमताल जो मिलाना था | पर फ़ोन अगर आ जाये एक दूसरे का, तो घंटो घंटो बतियाते थे हम , दिल को एक तस्सली सी मिलती थी की चलो कुछ नहीं बदला |
फिर फ़ोन आने भी काम हो गए और बातें भी , दिल को खूब समझाया की जरूर किसी जरुरी काम मे उलझे होंगे , पढाई ज्यादा होगी,इसीलिए बात नहीं कर पा रहे है वरना तो हमारी दोस्ती सबसे मजबूत है |

वो फ्रेंडशिप डे का दिन था जब हम साथ थे तो बड़े ख़ुशी से एक दूसरे के लिए बैंड्स लेते थे , मुझे आज भी याद है पापा से फ़ोन मांग कर अपनी डायरी से सबका नंबर निकाल क़र एक एक को कॉल करके विश किया करती थी , सबसे पहले विश करके क्या मिलता था ये तो पता नहीं पर किला फ़तेह कर लेने जैसी ख़ुशी होती थी , न जाने कितने सालों से ये सिलसिला कायम था , पर पता नहीं क्यों इस बार मेरा मन किया की देखे इनमे से पहले कौन विश करता है क्युँकि विश तो करेंगे ही इतना तो विश्वास था पर पहले कौन किला फ़तेह करेगा ये देखना चाहती थी मैं |
पर जब सारा दिन गुजर गया और किसी का कॉल तो छोड़िये मैसेज तक नहीं आया तो कुछ खटका था दिल मे , मैंने दिल को फिर मानना चाहा की अब तो हम सब बड़े हो गए है ये सब बचकाने दिन थोड़ी ही मानते फिरेंगे और मन सही करने के लिए उन्ही फेसबुक खोल लिया सबसे पहली ही पोस्ट शुभी की थी अपनी नई दोस्तों के साथ बाहर घूमने गयी थी शायद वही की फोटो डाली थी और कैप्शन था “हैप्पी फ्रेंडशिप डे ” !!! कुछ चुभ गया था दिल मे नहीं ये जलन नहीं थी बस एक तरह की तकलीफ थी जिसको बयाँ कर पाना मुश्किल है !!!!

खैर दिवाली पे हम सब अपने शहर वापस लौटे , मैंने सबसे मिलने की सोची पर जब एक के बाद एक,सभी ने कोई न कोई मज़बूरी बता कर आने से मना कर दिया तो दिल पे लगा घाव थोड़ा और गहरा गया , कई सालों से मैं और गरिमा साथ मिलकर रंगोली बनाया करते थे , पर इस साल जब दिवाली बीत भी गयी पर गरिमा नहीं आयी तो दूरियों का एहसास और भी बढ़ गया फिर ये सोच के की हर बार वो ही क्यों,मै क्यों नहीं मिलने चली जाती उसके घर पहुंची , वो उस समय घर पर नहीं थी पर उसकी मम्मी को बोल कर आयी थी मैं की जब गरिमा आये तो उसे कहियेगा की कॉल कर ले मुझे , आज दो दिवाली बाद भी न उसका कॉल आया न वो !!!
फिर बदल लिया था मैंने अपने आप को , तकलीफ तो हुई थी पर उमीदें लगनी बंद कर दी थी मैंने , इसीलिए नहीं की उम्मीद टूटेगी तो दिल दुखेगा बल्कि इसलिए,क्यूंकि मैं इस छलावे से बाहर ही नहीं आना चाहती थी की हमारी दोस्ती आज भी वैसी ही है , मुझमे असलियत स्वीकार करने की हिम्मत ही नहीं थी,इसीलिए काट लिया था मैंने खुदको सबसे , किसी को कॉल नहीं करती थी ,सोशल मीडिया से दुरी बना ली और खुदके साथ समय बिताना शुरू कर दिया |
खैर अब अगर दोस्तों मे से किसी का सात -आठ महीने मे एक बार कॉल आ जाए तो उनकी पहली लाइन ही यही होती है की “तू तो बड़ी आदमी हो गयी है , कॉल ही नहीं करती या तुझे तो याद ही नहीं आती” और मैं बस मुस्कुरा के रह जाती हूँ !! नहीं अब मै किसी से नारज़ नहीं हूँ न ही किसी से भी कोई शिकायत है क्यूंकि अब समझ आ गया है की समय और जिंदगी किसी के आने जाने से रूकती नहीं !!!

और जब भी अपने पुराने दिनों की याद आती है मै पहुँच जाती हूँ आँखें बंद कर के फिर से अपने स्कूल , जी लेती हूँ उन लम्हो को दुबारा !!!!
अब आप कहेंगे की कही,दोस्ती टूटने पे इतना भी दुःख होता है की इतना बड़ा भाषण दे डाला मैडम आपने , ये तो आपने बचकाना बातें करदी , हाँ अगर प्रेमी से अलगाव हुआ होता तब आपकी ये करुण गाथा सुनकर हमारा भी दिल भर आता पर ये क्या बात हुई की दोस्ती टूट गयी तो आप रोना रोने लगी , क्या कहते है आजकल “हाँ प्रैक्टिकल बनो “!!! यही तो मात खा जाते है सब क्यूंकि प्रेम और दोस्ती मे अंतर है जहाँ प्रेम की शुरुयात ही होती है बनावट से , नाटकीयता से , जो आप नहीं हैं वो आप दिखावा करने की कोशिश करते हैं,सामने वाले को प्रभावित करने के लिए जबकि दोस्ती की बात करे तो असली दोस्ती वहाँ शुरू होती है जहाँ सारी नाटकीयता ख़तम हो , जहाँ बनावट के सारे परदे गिर जाए !!!
“श्री कृष्णा की सोलह हज़ार रानियाँ थी पर सुदामा केवल एक “मैं प्रेम को दोस्ती से कम नहीं आंक रही , इनका तो आकलन किया ही नहीं जा सकता क्यूँकि मेरी नज़र मैं- “सच्चे प्यार की शुरुयात दोस्ती से होती है और दोस्ती मे होता है सच्चा प्यार” !!!!!
मेरा तो बस इतना ही कहना है की दोस्ती के टूटने पर भी बहुत तकलीफ होती है,अगर आप मरहम नहीं बन सकते तो “प्रैक्टिकल बनो इमोशनल फूल नहीं”ये बोलकर सामने वाले का मज़ाक न बनाये !!!

हो सके तो अपने स्कूल कॉलेज के दोस्तों के लिए भी समय निकले , उनसे बात करते रहे क्यूंकि अब तो इस भाग दौड़ भरी जिंदगी मे सब कुलीग बन कर ही रह गए है !!! दोस्त बने हुए तो ज़माने बीत गए
वैसे अभी अभी शुभी का मैसेज आया है –
–“कहा है यार ?? तू तो बिलकुल भूल ही गयी !! “
Copyright© 2020 [vaniheart] [Heart talk with vani] [https://hearttalk141541397.wordpress.com]
An introvert has hit the right chord of writing😃 टची और सच लिखा है आपने। लिखते रहिये। 😊💞
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Thanks , this means a lot 😄
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Thanks 💗
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Thank you very much 💗
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Very nice post. I think it happens almost with everyone. As we grow, everyone gets busy in his life. There are many reasons for this like study, job, marriage, migration, etc. I had also friends, but as we grew up, everyone got busy in his life. Now, we rarely meets and call each other. It feels bad, but life is like this.
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That’s true !!! Life move on but memories don’t 💗💗
Thanks for the lovely comment
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Wonderful post!!
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